महाभारत के रचियता महर्षी वेदव्यास का कथन है कि
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गुह्यं ब्रह्म तदिदं वो ब्रवीमि ।
न हि मानुषात श्रेष्ठतरं हि किंचित ॥
न नः स समितिं गच्छेद यश्च नो निर्वपेत कृषिम ।
अर्थात --- हे संसार के लोगो ! तुम्हे एक रहस्यपूर्ण बात बताता हूं----- इस संसार मनुष्ययोनि से श्रेष्ठ और कुछ नही है । भारत कृषिप्रधान देश है,अतः व्यासजी का आग्रह है कि जो नेता अपने हाथो से कृषि नहीं करता , उसे नेता बनकर संसद मे जाने का अधिकार नही है ।
गुह्यं ब्रह्म तदिदं वो ब्रवीमि ।
न हि मानुषात श्रेष्ठतरं हि किंचित ॥
न नः स समितिं गच्छेद यश्च नो निर्वपेत कृषिम ।
अर्थात --- हे संसार के लोगो ! तुम्हे एक रहस्यपूर्ण बात बताता हूं----- इस संसार मनुष्ययोनि से श्रेष्ठ और कुछ नही है । भारत कृषिप्रधान देश है,अतः व्यासजी का आग्रह है कि जो नेता अपने हाथो से कृषि नहीं करता , उसे नेता बनकर संसद मे जाने का अधिकार नही है ।
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