बुधवार, 21 मई 2014

Part 2 yagya


Part 2
घृत की तीनसमिधायेंरखनेकेमंत्र
इस मंत्र सेप्रथमसमिधारखें।
अयन्त इध्मआत्माजातवेदस्तेनेध्यस्ववर्द्धस्वचेद्धवर्धयचास्मान्प्रजयापशुभिर्ब्रह्मवर्चसेनान्नाद्येन
समेधय स्वाहा इदमग्नेयजातवेदसेइदंमम॥१॥
मन्त्रार्थ- मैं सर्वरक्षक परमेश्वरका स्मरण करताहुआ कामना करताहूँ कि हेसब उत्पन्न पदार्थोंके प्रकाशक अग्नि! यह समिधा तेरेजीवन का हेतुहै ज्वलित रहनेका आधार है।उससमिधा से तू

प्रदीप्त हो, सबकोप्रकाशित कर औरसब को यज्ञीयलाभों से लाभान्वितकर, और हमेंसंतान से, पशुसम्पित्त से बढ़ा।ब्रह्मतेज( विद्या, ब्रह्मचर्य एवं अध्यात्मिकतेज से, औरअन्नादि

धन-ऐश्वयर् तथा भक्षणएवं भोग- सामथ्यर्से समृद्ध कर।मैं त्यागभाव सेयह समिधा- हविप्रदान करना चाहताहूँ | यह आहुतिजातवेदस संज्ञक अग्नि केलिए है, यहमेरी नही है||1||
इन दो मन्त्रोंसेदूसरीसमिधारखें
ओं समिधाग्निं दुवस्यतघृतैर्बोधयतातिथम्|
आस्मिन हव्या जुहोतनस्वाहा|
इदमग्नये इदन्न मम||||
मन्त्रार्थ- मैं सर्वरक्षक परमेश्वरका स्मरण करतेहुए वेद केआदेश का कथनकरता हूँ किहे मनुष्यो! समिधाके द्वारा यज्ञाग्निकी सेवा करो-भक्ति से यज्ञकरो।घृताहुतियों से गतिशीलएवं अतिथ

के समान प्रथमसत्करणीय यज्ञाग्नि को प्रबुद्धकरो, इसमें हव्योंको भलीभांति अपिर्तकरो।मैं त्यागभाव से यहसमिधा- हवि प्रदानकरना चाहता हूँ।यह आहुति यज्ञाग्निके लिए है, यह मेरी नहींहै

सुसमिद्धाय शोचिषे घृतंतीव्रंजुहोतनअग्नयेजातवेदसेस्वाहा।
इदमग्नये जातवेदसे इदन्नमम||||
मन्त्रार्थ- मैं सर्वरक्षक परमेश्वरके स्मरणपूर्वक वेदके आदेश काकथन करता हूँकि हे मनुष्यों! अच्छी प्रकार प्रदीप्तज्वालायुक्त जातवेदस् संज्ञक अग्निके लिए वस्तुमात्रमें व्याप्त एवंउनकी

प्रकाशक अग्नि के लिएउत्कृष्ट घृत कीआहुतियाँ दो . मैंत्याग भाव सेसमिधा की आहुतिप्रदान करता हूँयह आहुति जातवेदस्संज्ञक माध्यमिक अग्नि केलिए है यहमेरी नहीं।।३।। इसमन्त्र

से तीसरी समिधारखें।
तन्त्वा समिदि्भरङि्गरो घृतेनवर्द्धयामसि
बृहच्छोचा यविष्ठय स्वाहा।।इदमग्नेऽङिगरसेइदंमम।।४।।
मन्त्रार्थ- मैं सर्वरक्षक परमेश्वरका स्मरण करतेहुए यह कथनकरता हूँ किहे तीव्र प्रज्वलितयज्ञाग्नि! तुझे हमसमिधायों से औरधृताहुतियों से बढ़ातेहैं।हे पदार्थों को मिलानेऔर पृथक करनेकी

महान शक्ति से सम्पन्नअग्नि ! तू बहुतअधिक प्रदीप्त हो, मैं त्यागभाव सेसमिधा की आहुतिप्रदान करता हूँ।यह अंगिरस संज्ञकपृथिवीस्थ अग्नि के लिएहै यह मेरीनहीं है।

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