आर्यावर्त का इतिहास , पूना प्रवचन से
सबसे पहले दिव्य सृष्टी उत्पन्न हुई जो “ब्रह्मा” के उत्पन्न होने तक चली । उसके बाद मैथुनी सृष्टि उत्पन्न हुई और ब्रह्मा के पीढी की शुरूआत हुई ब्रह्मा से विराट , विराट से विष्णु सोमसद और अन्निष्वात तथा अन्निष्वात से पुत्र महादेव उत्पन्न हुये , महादेव और विष्णु हिमालय पे जाके रहने लगे । उसके पीछे मनु उत्पन्न हुए । उस सम्पूर्ण धरती को ब्रह्मावर्त कहते थे जिसका एक क्षत्र राजा “मनु” था ब्रह्मावर्त पूरी धरती पर एक ही राज्य था उसके बाद मनु का पुत्र मरीचि प्रथम क्षत्रीय राजा बना उस समय तक आर्यावर्त का नाम ब्रह्मावर्त था तदन्तर आर्यावर्त का प्रथम राजा इक्ष्वाकु हुआ तथा यह ब्रह्मा की छठी पीढी था यहां पीढी का अर्थ एक अधिकारी से दूसरा अधिकारी ऐसा समझें, इक्ष्वाकु के समय मे लोग अक्षर स्याही आदि लिखने कि रीति को प्रचर मैन लये । इक्ष्वाकु के समय मे वेद को कंठस्त करने कि रीति कुछ कुछ बन्द होने लगी थीजिस लिपि मे वेद लिखे जाते थे उसका नाम देव नागरी था । देव अर्थात विद्वान इनका जो नगर ऐसे विद्वान नागर लोगो ने अक्षर द्वारा अर्थ - संकेत उत्पन्न करके ग्रंथ लिखने का प्रचार प्रथम प्रारम्भ किया ।उसके बाद वेद घर घर मे लिखे जाने लगे । वेदो को लिखने से पहले सभी लोग उन्हे कठस्त रखते थे और उनका ज्ञान एक पीढी से दूसरी को देते थे । लेकिन उसके बाद वेद घर घर मे लिखे जाने लगे ।
प्रश्न- पाखंडी --- ऋचः सामानि छन्दांसि ( अथर्व वेद ११ । ७ । २४ ) मे लिखा है कि परमात्मा से पुराण उत्पन्न हुए ?
उत्तर- वैदिक – यहा पुराण नाम भागवतादि ग्रन्थों का नहीं है अपितु सृष्टि की उत्पत्ति ,प्रलय आदि के वर्णन करने वाले मन्त्रो को पुराना इतिहास वर्णन करनेवाले होने के कारण पुराण कहा है पुराण अर्थात पुराना इतिहास “ । पोप के १८ पुराण त्यागने योग्य अश्लिता से भरे पडे हैं ।
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