गुरुवार, 22 मई 2014

शूद्र के विषय में मनु की धारणा

शूद्र के विषय में मनु की धारणा---
मनु जन्मना वर्णव्यवस्था नहीं मानते शिक्षादीक्षा के उपरान्त आचार्य योग्यता के आधार पर अन्तिम रूप से वर्णों का निश्चय करता है जो व्यक्ति इन तीनों ( ब्रह्मण , क्षत्रिय , वेश्य ) वर्णों के गुणों को धारण नहीं कर पाता , इसी कारण अज्ञानता के प्रतीकरूप में शुद्र की उपमा दी है वस्तुतः जो व्यक्ति
पढलिख नहीं पाता और ऊपर के किसी वर्ण के किसी वर्ण के योग्य नहीं होता वही शूद्र कहलाता है
उदा॰ २।१२१-१२३ ,२।१४-१५ ,२।१२६
शूद्र को धर्मपालन का अधिकार है मनु॰ २।२१३
शूद्र को वेदाध्ययन का अधिकार है यजु॰ २६।२
वेदों में शूद्र को यज्ञ आदि धार्मिक कार्य करने का अधिकार है ऋग्वेद १०।५३।४-
शूद्र श्रेष्ठ और पवित्र कर्मो को करके उत्कृष्ट वर्णों को प्राप्त कर सकता है

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