शुक्रवार, 30 मई 2014

अन्त्येष्टि संस्कार

अन्त्येष्टि संस्कार  ====



‘अन्त्येष्टि कर्म उस को कहते हैं कि जो शरीर के अन्त का संस्कार

है, जिस के आगे उस शरीर के लिए कोर्इ भी अन्य संस्कार नहीं है।

इसी को नरमेध्, पुरूषमेध्, नरयाग, पुरूषयाग भी कहते हैं ।


भस्मापिन्त शरीरम् । --यजु: अ॰ ४० । मं॰ १५ ॥ ।। १

निषेकादिश्मशानान्तो मन्त्रौर्यस्योदितो विधिः ।।२ --मनु॰


अर्थ--इस शरीर का संस्कार (भस्मान्तम्) अर्थात् भस्म करने पर्यन्त

है ।।१।।

शरीर का आरम्भ ऋतुदान और अन्त में श्मशान अर्थात् मृतक कर्म
है ।।२।।


(प्रश्न) गरुडपुराण आदि में दशगात्रा, एकादशाह, द्वादशाह,

सपिण्डी कर्म, मासिक, वार्षिक, गयाश्राण् आदि ​क्रिया लिखी हैं, क्या

ये सब असत्य हैं ?


(उत्तर) हा!, अवश्य मिथ्या हैं, क्योंकि वेदों में इन कर्मो का
विधान नहीं है । इसलिए अकर्त्तव्य हैं और मृतक जीव का सम्बन्ध्
पूर्व सम्ब​न्धियों के साथ कुछ भी नहीं रहता, और न इन जीते हुए
सम्ब​न्धियों का । वह जीव अपने कर्म के अनुसार जन्म पाता है ।

(प्रश्न) मरण के पीछे जीव कहा! जाता है ?
(उत्तर) यमालय को ।

(प्रश्न) यमालय किस को कहते हैं ?
(उत्तर) वाय्वालय को ।

(प्रश्न) वाय्वालय किस को कहते हैं ?
(उत्तर) अन्तरिक्ष को, जो कि यह पोल है ।

(प्रश्न) क्या गरुडपुराण आदि में यमलोक लिखा है वह

झूठा है ?
(उत्तर) अवश्य मिथ्या है ।

(प्रश्न) पुन: संसार क्यों मानता है ?


(उत्तर) वेद के अज्ञान और उपदेश के न होने से । जो यम

की कथा लिख रक्खी है, वह सब मिथ्या है, क्योंकि ‘यम’ इतने पदार्थो

का नाम है--

षळिद् यमा ऋषयो देवजा इति ।।१।।

-- ऋग्वेद म॰१ । सू॰१६४ । मं॰१५ ॥

शकेम वाजिनो यमम् ।।२।। --ऋग्वेद म॰२ । सू॰५ । मं॰१ ।।

यमायपि जहुता हवि:। यमं हपि यज्ञो गपिच्छत्यग्निदूतो अरंकृत: ।।३।।

-- ऋग्वेद म॰१०। सू॰१४ । मं॰१३ ।।

यम: सूयमानो विष्णु: सम्भ्रियमाणो वायु: पूयमान: ।।४।।

-- यजुर्वेद अ॰८ । मं॰५७ ॥

वाजिनं यमम् ।।५।। --ऋग्वेद म॰८ । सू॰२४ । मं॰२२ ।।

यमं मातरिश्वापिनमाहु: ।।६।। ऋग्वेद म॰१ । सू॰१६४ । मं॰४६ ॥


अर्थ--यहां ऋतुओं का यम नाम ।।१।।

यहां परमेश्वर का नाम ।।२।।

यहां अग्नि का नाम ।।३।।

यहां वायु, विद्युत्, सूर्य के यम नाम हैं ।।४।।

यहां भी वेगवाला होने से वायु का नाम यम है ।।५।।

यहां परमेश्वर का नाम यम है ।।६।।

इत्यादि पदार्थो का नाम ‘यम’ है । इसलिए पुराण आदि की सब

कल्पना झूठी है ।

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