सोमवार, 19 मई 2014

मुर्दों को गाङाने तथा जलाने पर तुलना

मुर्दों को गाङानेतथा जलाने परतुलना ----
. मृत शरीरको जलाने सेभूमि बहुत कमखर्च होती है कब्रों सेस्थानस्थान पर बहुतसी भूमि घिरजाती है
. कब्रिस्थान के कारणबहुत से लोगवायु को दूषितकर देते हैं वायु केदूषित होने सेवह फैल करसमाज में रोगफैलने का कारणबनती है मुर्दो को जलादेने से यहनही होता
. जो जलकब्रिस्थान के पासहोकर जाता हैवह रोग काकारण बन जाताहै जलानेसे ऐसा नहींहोता
. कुछ पशुमृत-शरीर कोउखाङकर खा जातेहैं और रोगीशरीर को खानेसे वे स्वयंरोगी बनकर मनुष्योंमें भी रोगफैलाते हैं जलाने से यहबुराई नहीं होती
. कुछ कफनचोर कब्र खोदकरशरीर का कफनउतार लेते हैं इस प्रकारमृतक के संबंधियोंके मनोभावों कोठेस पहुंचती है मुर्दो कोजला देने सेयह नही होता
. लाखों बीघा जमीनसंसार में कब्रिस्थानके कारण रुकीपङी है जलाना शुरु करनेसे यह खेतीतथा मकान बनानेके काम आएगी।जिन्दों के लियेही जमीन थोङीपङ रही है, उसे मुर्दो नेघेर रखा है
. दरगाहों की समाधिपूजा , कब्रों की पूजा, पीरों की पूजा, मुर्दो की अनेकप्रकार के पाखंडमुर्दो को जलादेने से खत्महो जाएंगे
. इन मजारोंकी पूजा करने, चढावा चढाने और आनेजाने में जोकरोङो रुपया व्यर्थका व्यय होताहै वह बचजाएगा
शरीर पृथ्वी , जल , अग्नि,वायु , आकाश इनपांच भूतों काबना है इसलिये मरने केबाद शरीर केइन पांचों भूतोंको जल्दी सेजल्दी सूक्ष्म करकेअपने मूल रुपपहुचा देना हीवैदिक पद्धति है अग्नि द्वारादाह कर्म हीएक ऐसा साधनहै जिससे मृतदेह के सबतत्व शीघ्र हीअपने मूल रूपमें पहुंच जातेहैं “” संस्कारचंद्रिका ““

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