सोमवार, 19 मई 2014

वेद –

वेद
 वेद हमारे धर्मग्रन्थ हैं वेद संसार के पुस्तकालय में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं वेद का ज्ञान सृष्टि के आदि में परमात्मा ने अग्नि , वायु , आदित्य और अंगिराइन चार ऋषियों को एक साथ दिया था वेद मानवमात्र के लिए हैं  
 वेद चार हैं ----
. ऋग्वेदइसमें तिनके से लेकर ब्रह्मपर्यन्त सब पदार्थो का ज्ञान दिया हुआ है इसमें १०,५२२ मन्त्र हैं
. यजुर्वेदइसमें कर्मकाण्ड है इसमें अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन है इसमें ,९७५ मन्त्र हैं
. सामवेदयह उपासना का वेद है इसमें ,८७५ मन्त्र हैं
. अथर्ववेदइसमें मुख्यतः विज्ञानपरक मन्त्र हैं इसमें ,९७७ मन्त्र हैं
उपवेदचारों वेदों के चार उपवेद हैं क्रमशःआयुर्वेद , धनुर्वेद , गान्धर्ववेद और अर्थवेद
उपनिषदअब तक प्रकाशित होने वाले उपनिषदों की कुल संख्या २२३ है , परन्तु प्रामाणिक उपनिषद ११ ही हैं इनके नाम हैं --- ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , बृहदारण्यक और श्वेताश्वतर
ब्राह्मणग्रन्थइनमें वेदों की व्याख्या है चारों वेदों के प्रमुख ब्राह्मणग्रन्थ ये हैं ---
ऐतरेय , शतपथ , ताण्ड्य और गोपथ
दर्शनशास्त्रआस्तिक दर्शन छह हैंन्याय , वैशेषिक , सांख्य , योग , पूर्वमीमांसा और वेदान्त
स्मृतियांस्मृतियों की संख्या ६५ है , परन्तु प्रक्षिप्त श्लोकों को छोङकर मनुस्मृति ही सबसे अधिक प्रमाणिक है इनके अतिरिक्त आरण्यक , धर्मसूत्र , गृह्यसूत्र , अर्थशास्त्र , विमानशास्त्र आदि अनेक ग्रन्थ हैं

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