सोमवार, 19 मई 2014

पन्चमहायज्ञ पद्धति

पन्चमहायज्ञ पद्धति
प्रत्येक गृहस्थ को अपना जीवन सुखमय बनाने के
लिये पन्चमहायज्ञ अवश्य करने चहिए ---
. ब्रह्मयज्ञअर्थात संध्या ईश्वर कि स्तुती , प्रार्थना और उपासना करना ब्रह्मयज्ञ है।
. देवयज्ञअर्थात अग्निहोत्र
. पितृयज्ञअर्थात जीवित माता पिता , आचार्य की
यथायोग्य सेवा करना
. भूतयज्ञअर्थात बलिवैश्वयज्ञ भोजन के पूर्व नीचे
लिखि दश आहुति ( चावल ,मिष्ठान और घृत जो घर का हो ) पाकअग्नि में समर्पित समर्पित करें. अग्नये स्वाहा
. सोमाय स्वाहा
. अग्नीषोमाभ्याम स्वाहा
. विव्श्रेभ्यो देवेभ्यः स्वाहा
. धन्वन्तरये स्वाहा
. कुव्है स्वाहा
. अनुमत्यै स्वाहा
. प्रजापतये स्वाहा
. ध्यावापृथिव्यां स्वाहा
१०. स्विष्टकृते स्वाहा पांचवा है अतिथि यज्ञ --- जो पूर्ण विद्वान परोपरोपकारी सत्योपदेशक ,महात्मा गृहस्थों के घर आवें तब उनका यथायोग्य सेवा सत्कार करना अतिथियज्ञ है

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