॥ विशुद्ध – मनुस्मृति ॥
** धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की समीक्षा **
१. धर्म – जिसके आचरण करने से उत्तम सुख
आत्मिक – मानसिक – शारीरिक त्रिविध उन्नति और मोक्षसुख की प्राप्ति हो , उसको धर्म मनते हैं ।
२. काम – शुभ कामनाओं की पूर्ति , कामविकारो की शन्ति ।
३. अर्थ – धन और सांसारिक ऐश्वर्य की प्राप्ति ।
४. मोक्ष – जन्म मरण के बन्धन से छुटकारा पाकर मुक्ति की स्थिति में रहना ।
धर्म प्रत्येक स्थिति में स्वीकार्य और पालनीय होता है और
और मोक्षप्राप्ति भी सबका परम उद्देश्य है किन्तु काम और अर्थ
के विषय में छूट नहीं है , अपितु मनु ने उन्हें सीमित और विहित रुप में ही ग्राह्य माना है ।
** धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की समीक्षा **
१. धर्म – जिसके आचरण करने से उत्तम सुख
आत्मिक – मानसिक – शारीरिक त्रिविध उन्नति और मोक्षसुख की प्राप्ति हो , उसको धर्म मनते हैं ।
२. काम – शुभ कामनाओं की पूर्ति , कामविकारो की शन्ति ।
३. अर्थ – धन और सांसारिक ऐश्वर्य की प्राप्ति ।
४. मोक्ष – जन्म मरण के बन्धन से छुटकारा पाकर मुक्ति की स्थिति में रहना ।
धर्म प्रत्येक स्थिति में स्वीकार्य और पालनीय होता है और
और मोक्षप्राप्ति भी सबका परम उद्देश्य है किन्तु काम और अर्थ
के विषय में छूट नहीं है , अपितु मनु ने उन्हें सीमित और विहित रुप में ही ग्राह्य माना है ।
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