गुरुवार, 22 मई 2014

अग्निहोत्र अथवा होम करना क्यो आवश्यक है

अग्निहोत्र अथवा होम करना क्यो आवश्यक है
प्रश्न होम से क्या उपकार होता है?
उत्तर सब लोग जानते हैं कि दुर्गन्ध्युक्त वायु और जल से रोग, रोग
से प्राणियों को दु:ख और सुग​िन्ध्त वायु तथा जल से आरोग्य और रोग के नष्ट
होने से सुख प्राप्त होता है
प्रश्न चन्दनादि घिस के किसी को लगावे वा घृतादि खाने को देवे
तो बड़ा उपकार होअग्नि में डाल के व्यर्थ नष्ट करना बु​िण्मानों का काम नहीं
उत्तर जो तुम पदार्थविद्या जानते तो कभी ऐसी बात कहते क्योंकि
किसी द्रव्य का अभाव नहीं होता देखो! जहां होम होता है वहां से दूर देश में
स्थित पुरुष के नासिका से सुगन्ध् का ग्रहण होता है वैसे दुर्गन्ध् का भी । इतने
ही से समझ लो कि अग्नि में डाला हुआ पदार्थ सूक्ष्म हो के फैल के वायु के
साथ दूर देश में जाकर दुर्गन्ध् की निवृत्ति करता है
प्रश्न जब ऐसा ही है तो केशर, कस्तूरी, सुग​िन्ध्त पुष्प और अतर
आदि के घर में रखने से सुग​िन्ध्त वायु होकर सुखकारक होगा ?
;उत्तर उस सुगन्ध् का वह सामर्थ्य नहीं है कि गृहस्थ वायु को बाहर
निकाल कर शुद्ध वायु को प्रवेश करा सके क्योंकि उस में भेदक शक्ति नहीं है
और अग्नि ही का सामर्थ्य है कि उस वायु और दुर्गन्ध्युक्त पदार्थो को छिन्न-भिन्न
और हल्का करके बाहर निकाल कर पवित्रा वायु को प्रवेश करा देता है
प्रश्न तो मन्त्रा पढ़ के होम करने का क्या प्रयोजन है?
उत्तर मन्त्रों में वह व्याख्यान है कि जिससे होम करने में लाभ विदित
हो जायें और मन्त्रों की आवृत्ति होने से कण्ठस्थ रहेंवेदपुस्तकों का पठन-पाठन
और रक्षा भी होवे
प्रश्नद् क्या इस होम करने के विना पाप होता है?
उत्तर हां ! क्योंकि जिस मनुष्य के शरीर से जितना दुर्गन्ध् उत्पन्न
हो के वायु और जल को बिगाड़ कर रोगोत्पत्ति का निमित्त होने से, प्राणियों
को दु:ख प्राप्त कराता है उतना ही पाप उस मनुष्य को होता है इसलिये
उस पाप के निवारणार्थ उतना सुगन्ध् वा उससे अधिक वायु और जल में
पैफलाना चाहियेऔर खिलाने पिलाने से उसी एक व्यक्ति को सुख विशेष होता
है जितना घृत और सुगन्धदि पदार्थ एक मनुष्य खाता है उतने द्रव्य के होम से
लाखों मनुष्यों का उपकार होता है परन्तु जो मनुष्य लोग घृतादि उत्तम पदार्थ
खावें तो उन के शरीर और आत्मा के बल की उन्नति हो सके, इस से अच्छे
पदार्थ खिलाना पिलाना भी चाहिये परन्तु उससे होम अधिक करना उचित है इसलिए
होम का करना अत्यावश्यक है

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