रविवार, 18 मई 2014

सन्ध्या करना प्रत्येक मनुष्य का परम धर्म है

सन्ध्या करना प्रत्येक मनुष्य का परम धर्म है 
सन्ध्या करना प्रत्येक मनुष्य का परम धर्म है ---------------
तिष्ठति तु यः पूर्वा नोपास्ते यश्च पश्चिमाम
शूद्रवद बहिष्कार्यः सर्वस्माद द्विजकर्मणः॥ मनु स्मृति २।१०३
अर्थात जो मनुष्य प्रातः और सायं सन्ध्या नहीं करता वह समस्त द्विजकर्मो से शूद्र की भांति बाहर कर देने योग्य है ॥१०३

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