सन्ध्या करना प्रत्येक मनुष्य का परम धर्म है
सन्ध्या करना प्रत्येक मनुष्य का परम धर्म है ---------------
न तिष्ठति तु यः पूर्वा नोपास्ते यश्च पश्चिमाम ।
स शूद्रवद बहिष्कार्यः सर्वस्माद द्विजकर्मणः॥ मनु स्मृति २।१०३
अर्थात जो मनुष्य प्रातः और सायं सन्ध्या नहीं करता वह समस्त द्विजकर्मो से शूद्र की भांति बाहर कर देने योग्य है ॥१०३
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