|
|| मनु स्मृती ||
मनु कहते है – श्राद्धो से पितरो का पूजन करे. यह श्राद्ध प्रतिदिन करे, माता-पिता आदि वयोवृद्धो को प्रासन्न रखते हुए उन्हे अन्न, जल, वस्त्र, फल आदि देकर यह श्राद्धकार्य करे. यही पितृ यज्ञ कहाता है, श्राद्ध का अर्थ है – श्राद्धा से किया गया कार्य, पितर का अर्थ है – जो अन्न, विद्या, सुशिक्षा आदि से पालन-पोषण और रक्षण करते है, तर्पण का अर्थ है – जिस कर्म से विद्वान रुप देव, ॠषि (ब्रह्मण) और पितरो को सुखयुक्त करते है. जी हा श्राद्ध और तर्पण जीवित मनुष्य का किया जाता है,मरे हुओ का नहि | |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें